5 EASY FACTS ABOUT NEERAJ CHOPRA BIOGRAPHY IN HINDI DESCRIBED

5 Easy Facts About Neeraj Chopra Biography in Hindi Described

5 Easy Facts About Neeraj Chopra Biography in Hindi Described

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नीरज चोपड़ा एक track and subject एथलीट हैं जो javelin toss में प्रतिस्पर्धा करते हैं।

“मुझे अपने खेल प्रशिक्षण को बनाए रखने के लिए एक नौकरी की सख्त जरूरत थी, इसलिए मैंने नौकरी स्वीकार कर ली ।  मेरी फैमिली में कोई भी सरकारी नौकरी पर नहीं है मुझे यह नौकरी मिल चुकी है, अब मैं अपने परिवार की आर्थिक मदद कर सकूंगा , और अपनी ट्रेनिंग भी जारी रख सकूंगा ।”

उत्तर – नीरज चोपड़ा के कोच का नाम उवे हॉन है । वे जर्मनी के हैं ।

नीरज चोपड़ा के मन में इन्हीं को देखकर भाला फेंकने की इच्छा जागरुक हुई। नीरज चोपड़ा ने भाला फेंकने के लिए प्रयास करना शुरू कर दिया परंतु जब इन्होंने उवे होन को वर्ल्ड चैंपियनशिप में वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम करते हुए देखा तो इनकी यह इच्छा और भी ज्यादा प्रबल हो गई।

दरअसल, नीरज चोपड़ा इस सीज़न में अपनी फिटनेस को लेकर संघर्ष कर रहे हैं और उम्मीद है कि वह अपनी कमर की चोट को ठीक करने के लिए एक डॉक्टर से मिलेंगे.

खिलाड़ियों को ऑफिसर के रूप और पर नियुक्तियां कम ही मिलती है लेकिन नीरज चोपड़ा को उनके प्रतिभा के कारण डायरेक्टर ऑफिसर बना दिया गया। आर्मी में जॉब मिलने के पश्चात नीरज चोपड़ा काफी खुश हुए क्योंकि वह अपने परिवार से ऐसे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सरकारी नौकरी प्राप्त की है।

नीरज चोपड़ा स्टेडियम में दौड़ लगाते हुए सीनियर भाला फेंक खिलाड़ी जयवीर को प्रैक्टिस करते हुए देखा करते थे ।  जयवीर ने राज्य स्तर पर भाला फेंक में हरियाणा राज्य का प्रतिनिधित्व किया था ।  

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नीरज चोपड़ा की प्रेरणा और मेहनत ने उन्हें भारतीय खेल जगत का एक चमकता सितारा बना दिया है। उनकी कहानी न केवल युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत है बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय भी है।

नीरज चोपड़ा का खेल के मैदान से सेना के सूबेदार तक का सफ़र– 

वहाँ उन्होंने पहले कोच जयवीर चौधरी और अनुभवी एथलीटों से Fundamental principles सीखी।

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नीरज की प्रारंभिक शिक्षा पानीपत से ही हुई है । आरंभिक पढ़ाई के बाद इन्होंने अपनी ग्रेजुएशन कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के डीएवी कॉलेज, चंडीगढ़ से पूरी की है ।

यह एशियाई खेलों में Neeraj Chopra Biography in Hindi भाला फेंक में भारत का पहला स्वर्ण पदक भी था।

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